Sabar Ka Fal Mitha Hota Hai - DOORI KA EHSAAS

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Wednesday, August 8, 2018

Sabar Ka Fal Mitha Hota Hai



पूरे घर में एक अलग ही कोलाहल मचा है सब के सब किसी ना किसी तैयारी में लगे हैं कोई मिठाइयाँ ला रहा है तो कोई पकवान तैयार कर रहा हैं। माँ अलमारी से अपनी नयी साड़ी निकाल रही है और कुछ गहनें। पापा तो ऐसे परेशान हुए जा रहे हैं जैसे की बारात आज ही आने वाली हो। समझ नही आ रहा जो अपनी तबियत ख़राब होने पर भी दवा लेने से हिचकिचाते है, कुछ पैसे बच जाएं मीलों दूर पैदल ही निकल जाया करते हैं, हर त्यौहार पर हमारे लिए नए कपड़े लाते हैं और अपने लिए कुछ नही लेते ये बोल के बात टाल दिया करते हैं कि मुझे क्या ज़रूरत है मैं छोटा बच्चा थोड़े ही हूँ। भला कोई इतना भी परेशां कैसे हो सकता है। आज तो बस लड़के वाले देखने के लिये ही आ रहे थे और माँ ने तो पूरा घर सिर पर उठा लिया था जैसे की आज ही विदा करने वाली है मुझे। सारी तैयारियाँ हो चुकी थी अब बस इंतज़ार था तो लड़के वालों कें आने का। पापा के माथे का पसीना उनकी परेशानी बयां कर रहा था जिसको वो अपने चेहरे की मुस्कान में छुपाये जा रहे थे। उनको फिर उसी बात का डर सताए जा रहा था कि कहीं पिछली बार की तरह उनको इस बार भी निराशा ही हाँथ लगे। वो क्या है कि ऐसा चार बार हो चुका है कि लोगों ने मुझे रिजेक्ट कर दिया था। बहुत सुँदर नही हूँ मैं हाँ सांवली भी हूँ इसलिए 2 लोगो ने यही वजह बताई। और 2 लोगो की माँग इतनी ज़्यादा थी की मेरे पापा उतना दे नही सकते थे। दरवाज़े पर दस्तक़ होती है और हर बार की तरह 5 लोग आये हैं। सब एक साथ बैठ कर बातें कर रहे हैं और मुझे बुलाने के लिए छोटी बहन को भेजा। पर न जाने क्यों मन बहुत हिचक सा रहा है उनके सामने जाने के लिए। हाँथ में चाय की ट्रे लिए और दिल में इक अज़ीब कश्मकश के साथ सामने गयी। पर ये क्या इस बार तो पहले जैसा कुछ नही हुआ इस बार मुझसे बस ये पूछा गया "बेटा देख लो यही है हमारा बेटा अगर तुमको पसन्द हो तो बात आगे बढ़ाए। और हाँ देखो यही 4 लोग है परिवार में और तुम हाँ करती हो तो पाँच पूरे हो जायेंगे। अगर तुम पढ़ना चाहो तो पढ़ सकती हो आगे हमें अच्छा लगेगा अगर तुम आगे भी पढो, बाकी सब तुम्हारे ज़वाब पर निर्भर है। और हाँ शुक्ला जी दहेज़ में हमें बस आपकी बेटी ही चाहिए और कुछ नही।"
     इतना सुन कर मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे पर ये आँसू तो ख़ुशी के थे। यूँ लगा मेरे सब्र का फल आज मिल गया। आँसुओं को पोंछते हुए मैं हल्के से मुस्कुराई और अंदर की तरफ चली गयी।


©® Shalini Gupta
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