Aadha Chand "Ik adhuri Dastaan" - DOORI KA EHSAAS

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Friday, December 28, 2018

Aadha Chand "Ik adhuri Dastaan"

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दिसम्बर की रातों में लोग अपने-अपने घरों के कमरों में कंबल ओढ़ कर गरमाहट का एहसास लेते हैं। वही मैं तुम्हारी यादों की गरमाहट को महसूस करते हुए छत पर उस आसमां को निहार रहा था जिसमें आधा चाँद अकेला नज़र आ रहा था, क्योंकि बादलों में तारे कहीं ओझल से हो गए थे। उस चाँद की तन्हाई बिल्कुल मेरी तन्हा ज़िन्दगी के जैसी थी, कहने को सब साथ, सब आस-पास पर कोई अपना नहीं। इतने खुले आसमान में होने के बावजूद भी इक घुटन थी मेरे ज़हन में। समझ नही आ रहा था कैसे इन सब से छुटकारा पाऊँ। इन्ही ख्यालों के साथ उस आसमान में अधूरे चाँद को देखा तो लगा...कि कुछ चीजें अधूरी ही कितनी अच्छी लगती हैं जैसे ये चाँद। फ़र्क बस इतना है चाँद अधूरा होता है फ़िर पूरा होता और फिर अधूरा हो जाता है यह क्रम चलता रहता है। पर मेरी ज़िन्दगी में सिवाय अधूरेपन के कुछ भी नहीं। न कोई उम्मीद है न कोई आस। आज फ़िर मुझे बस अपनी खुशी की तलाश है जिसे सुकूं कह सकते हैं। दिल में इतने सारे जलजलों के साथ जीने से सुकूं का स भी न हासिल होने वाला था इसलिए आज इस अधूरे चाँद के साथ मैंने अपनी ज़िन्दगी के अधूरेपन को हमेशा के लिए ख़त्म करने का फ़ैसला लिया और ख़ुद को इन सब से आज़ाद करने के लिए वो कदम उठाया जिसे लोग..."खुदखुशी" कहते हैं। जब जीने का कोई मक़सद न हो, दिल में ज़ुनून न हो तो जी कर भी क्या फ़ायदा और इस तरह के ख्यालों में डूब कर मैंने उस तेज धार वाली छूरी को अपने हाँथ के नस पर रख दिया और उस चाँद को देखते हुए उस पर जोर से वार किया। धीरे-धीरे बहते लहू के कतरों के साथ मेरी ज़िन्दगी का वो बचा अधूरा चाँद भी धोमिल होता चला गया। और ढ़लते दिसम्बर के साथ मेरी ज़िन्दगी का भी चाँद कभी न निकलने के लिए अस्त हो गया।

   "छोड़ दिया है मैंने आज अधूरी दास्तां अपनी।
     सुना है कुछ चीजें अधूरी ही बेमिसाल होती है।।"

©® Shalini Gupta
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