Risk Naa Lena Bhi Risk Hai - DOORI KA EHSAAS

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Tuesday, August 7, 2018

Risk Naa Lena Bhi Risk Hai



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"रिस्क ना लेना भी रिस्क है"

हम सब की ज़िन्दगी में एक ऐसा वक़्त आता है जब हम ये तय नहीं कर पाते कि कौन सा रास्ता चुना जाये? किस मोड़ पर जाया जाए? इन सब उलझनों के बीच बस दिल और दिमाग यही सोचते हैं कि क्या रिस्क लिया जाये? मैं भी आज कुछ ऐसे ही कशमकश से गुज़र रहा हूँ।
             आज भी नही भूला मैं वो काली रात, जब मैं और पापा दोनों डिनर कर रहे थे और बारिश इतनी ज़्यादा हो रही थी कि हाई अलर्ट ज़ारी हो गया था। हमारे कॉलोनी में भी पानी बहुत ज्यादा बढ़ गया था कि अचानक आधी रात में पानी का बहाव इतना ज़्यादा हो गया कि ना जाने कब घर में आ गया पता नही ना चला। बिज़ली भी कट कर दी गयी और आधी रात में ही चारो तरफ़ अफ़रा-तफ़री मच गयी। कुछ छोटे बच्चे पानी में बहने लगे,जिनको बचाने की हिम्मत किसी में ना हुई क्योंकि कॉलोनी के बहार एक गटर था सब को अपनी अपनी चिंता थी। पापा ने हिम्मत कर उन बच्चो को तो बचा लिया पर खुद को ना सँभाल पाए और वही हुआ जिसका डर था वो पानी की तेज़ बहाव के साथ ना जाने कहां चले गए। मैंने उन्हें ढूंढने की बहुत कोशिश की पर वो कहीं ना मिले। पुलिस स्टेशन में भी रिपोर्ट लिखाई पर कुछ नहीं हुआ। आज इस बात को पाँच साल बीत गए पर मेरी तलाश अभी भी जारी है। किसी ने सलाह दी कि जहाँ पर मुफ़्त में खाना मिलता है वहाँ जा कर देखो। सड़क के किनारे बैठे लोगों को देख कर मेरे मन में ये ख्याल कि शायद पापा भी कही ऐसे तो नहीं.....ऐसे ख्याल से दिल भर आया। फिर मैंने उन सब के लिए कुछ करने का सोचा, जो किसी कारण वश ऐसी ज़िन्दगी जीने पर मज़बूर हो गए थे। मैंने उन सब के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया और उस पर काम करने की तैयारी करने लगा। पर ऑफिस से इतना टाइम ना मिल पाता कि दोनों काम कर सकूँ 3 साल बीत गए पर कोई फ़ैसला ना कर सका।नौकरी छोड़ने का रिस्क लेता तो परिवार कैसे चलता। और अगर ये रिस्क ना लेता तो आगे चल कर इस बात का पछतावा होता कि सब कुछ सोच रखा था पर कुछ ना कर सका शायद तब मुझे ज़्यादा तकलीफ़ होती। यही सोच कर नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया और अपने प्रोजेक्ट पर काम करने लग गया। मैंने उन सब को इकठ्ठा किया जो सड़क के किनारे पड़े रहते हैं उनके लिए एक आशियाँ बनाया जिसका नाम था "मरहम"।और उन सब को इस क़ाबिल बनाया कि वो खुद कमा कर खा सके। मेरे एक कदम से 12 लोगों को एक अच्छी ज़िन्दगी मिल सकी। आज जब सोचता हूँ इसके बारे में तो बस यही ख्याल आता है ज़हन में कि..."रिस्क ना लेना भी सबसे बड़ा रिस्क है।"  आज मेरे पापा जहाँ भी होंगे उन्हें मेरे पर गर्व होगा।
       "किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
        किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार
        किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
         जीना इसी का नाम है।"


©® Shalini Gupta
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