Pyar Ki Nishani - DOORI KA EHSAAS

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Saturday, August 11, 2018

Pyar Ki Nishani




अपने मन की उदासी से कुछ पल की दूरी हो सके इसलिए फेसबुक पर लॉगिन किया और न्यूज़ अप्डेट्स पढ़ने लगा। अचानक से तुम्हारी फ़ोटो सामने आ गयी। उसे देख कर ऐसा लगा की मानों सदियाँ बीत गयी हो एक तुम्हारे दीदार को। पता है उनको देख कर मेरे आँसू थम ना सके और धीरे से वो मेरी पलकों पर आ कर आँखों के कोने से बहने लगें। आँखों में आँसू होने के कारण तुम्हारी तस्वीर बड़ी ही धुँधली दिख रही थी इसलिए आँसू को आँखों से रुख़्सत कर फिर से तुम्हारे तस्वीर को बड़े ही ग़ौर से निहारने लगा। उन तस्वीरों को ज़ूम कर के भी देखा और तभी मेरी नज़र तुम्हारे हाँथ की उंगलियों पर गयी। और वो देख कर मेरी साँसे कुछ पल के लिए थम सी गयी। तुम्हारे हाँथ में वो अँगूठी आज भी थी। हाँ वही, जो कभी हमारे प्यार की निशानी हुआ करती थी। जो मैंने बड़े शौक़ से तुम्हारे लिए बनवाया था। और अपने हाँथो से तुम्हें पहनाया था। पर पता है अब उस अँगूठी में वो पहले जैसी चमक नहीं रही। वो पहले जैसी नहीं दिखी मुझे। उस अँगूठी का नग जो हमारे प्यार की रोशनी से चमकता था अब बड़ा ही फ़ीका-फ़ीका सा लगने लगा है मुझे। और उसका वो छल्ला जो बड़ी ही मजबूती से उस नग को जोड़ता था उसकी पकड़ हम दोनों के एक दूसरे के समझ की तरह ही बहुत कमज़ोर सी मालूम होने लगी है। शायद वो छल्ला भी हमारे प्यार के खोखलेपन को दिखा रहा है। उस अँगूठी में और हमारे प्यार में बस इतना ही फ़र्क निकला कि, वो आज भी तुम्हारे क़रीब है पर मैं तुम्हारे करीब नहीं। वो कमज़ोर तो हो गया है पर टूटा नहीं। और हमारा प्यार कमज़ोर था शायद इसीलिए टूट गया। मैं तुम्हारे पास भी नहीं हूँ और ना ही साथ, पर वो अँगूठी आज भी तुम्हारे पास है। वैसे ही जैसे मैं साथ तो नहीं हूँ पर मेरा प्यार आज भी तुम्हारे साथ और तुम्हारे लिए ही हैं। वो अँगूठी तुम्हारे उँगलियों को कस के पकड़ें हुए है और तुम्हारी यादें मुझे।
     अच्छा लगा ये देख कर कि तुमने सँभाल कर रखा है मेरी आख़री निशानी को। पर फ़िक्र ना करो मैनें मेरे मन में कोई उम्मीद नही जगायी है। ये देख कर बस दिल भर आया और जज़्बात रुक ना सके तो इनको अल्फ़ाज में पिरो दिया।
     " आँखों में आँसू ले कर होंठो से मुस्कुराये
       हम जैसे जी रहे है कोई जी के तो बताये"


      ©® Shalini Gupta
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