एक दिन प्लास्टिक, शराब, सिगरेट, हुक्का और खैनी पार्टी कर रहे थें। सब खुश थे कि वो लोग सब को बीमार बना रहे है फिर भी उन पर कोई रोक नही और रोक के बावजूद भी वो इंसान पर वे अपना वर्चस्व बनाये हुए है। और पार्टी भी इसी बात की चल रही थी उन लोगो के चाहनें वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं। और वे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अपना आदी बना रहे हैं। तभी शराब और प्लास्टिक में बहस होने लगीं की ज़्यादा शक्तिशाली कौन है?
शराब ने अपनी महानता का गुणगान करते हुए कहा कि- "मुझे पीने के बाद लोग अपनी परेशानी को कुछ पल के लिए भूल तो जाते हैं पर धीरे-धीरे मेरी तलब उनको अपना ग़ुलाम बना देती है। जिसके बाद अग़र वो मेरा सेवन छोड़ नहीं पाते। और मुझको पी कर तो सब अपना होश ही खो बैठते हैं और मेरी तलब में वे अपना घर तक तोड़ देते हैं अपनी पत्नी पर भी हाथ उठा देते है अपने बच्चो को भी हानि पहुँचाने में कोई कमी नही छोड़ते। इतना ही नही कुछ तो इसके नशे में हत्या भी कर डालते है। जिससे की मैं एक परिवार तो आसानी से बर्बाद करने की पॉवर रखता हूँ। मेरी दुकानें करने वालों को कभी भी ठाले का मुँह नही देखना पढता।"
इस पर प्लास्टिक ने बड़े ग़ुरूर में बोला- "तुमको तो इस बात का गुमां है कि लोग तुम्हारे सेवन के बाद बीमार पड़ते हैं और मुझे देखो मैं तो उनको भी बर्बाद करने की शक्ति रखता हूँ जो मेरे प्रयोग से भी वंचित रहते हैं। तुमको ख़त्म किया जा सकता है पर मैं तो ऐसे पदार्थों से बना हूँ जिसके अस्तित्व को ना जला कर, ना भिगो कर और ना हीं दफ़न करने पर ख़त्म किया जा सकें। इतना ही नहीं इन स्वार्थी इंसानो ने ये जानते हुए कि मैं कितना ख़तरनाक हूँ इसको जान कर भी मुझे बनाया। और तो और सबसे ज़्यादा सहयोग उस सरकार का है जिसने मेरे इन सब बातों के बारे में जानते हुए भी मेरे प्रयोग पर मोहर लगा दी। और अगर ये मुझे जलाना चाहे तो मैं हवा में मिल कर इनको बीमार बनाऊँगा, पानी में डालें तो मैं पानी को भी दूषित कर दूँगा और मिट्टी में दबाया तो उस मिट्टी को भी बर्बाद कर दूँ, खेतों को बंजर बना दूँ। और गलती से अग़र जानवर मुझे खा ले तो फिर उनको भी बीमार बना सकता हूँ। अब बताओ शक्तिशाली कौन हुआ मैं या तुम?"
ये सब सुन कर शराब ने भी प्लास्टिक के सामने अपने घुटनें टेक दिए।और बस यही बोल कर वहाँ से निकल गए कि- "इंसान ने अपनी बर्बादी का सामान ख़ुद ही बना रहा हैं और उसके अवगुण को जान कर भी उसका प्रयोग करता जा रहा हैं।
शराब ने अपनी महानता का गुणगान करते हुए कहा कि- "मुझे पीने के बाद लोग अपनी परेशानी को कुछ पल के लिए भूल तो जाते हैं पर धीरे-धीरे मेरी तलब उनको अपना ग़ुलाम बना देती है। जिसके बाद अग़र वो मेरा सेवन छोड़ नहीं पाते। और मुझको पी कर तो सब अपना होश ही खो बैठते हैं और मेरी तलब में वे अपना घर तक तोड़ देते हैं अपनी पत्नी पर भी हाथ उठा देते है अपने बच्चो को भी हानि पहुँचाने में कोई कमी नही छोड़ते। इतना ही नही कुछ तो इसके नशे में हत्या भी कर डालते है। जिससे की मैं एक परिवार तो आसानी से बर्बाद करने की पॉवर रखता हूँ। मेरी दुकानें करने वालों को कभी भी ठाले का मुँह नही देखना पढता।"
इस पर प्लास्टिक ने बड़े ग़ुरूर में बोला- "तुमको तो इस बात का गुमां है कि लोग तुम्हारे सेवन के बाद बीमार पड़ते हैं और मुझे देखो मैं तो उनको भी बर्बाद करने की शक्ति रखता हूँ जो मेरे प्रयोग से भी वंचित रहते हैं। तुमको ख़त्म किया जा सकता है पर मैं तो ऐसे पदार्थों से बना हूँ जिसके अस्तित्व को ना जला कर, ना भिगो कर और ना हीं दफ़न करने पर ख़त्म किया जा सकें। इतना ही नहीं इन स्वार्थी इंसानो ने ये जानते हुए कि मैं कितना ख़तरनाक हूँ इसको जान कर भी मुझे बनाया। और तो और सबसे ज़्यादा सहयोग उस सरकार का है जिसने मेरे इन सब बातों के बारे में जानते हुए भी मेरे प्रयोग पर मोहर लगा दी। और अगर ये मुझे जलाना चाहे तो मैं हवा में मिल कर इनको बीमार बनाऊँगा, पानी में डालें तो मैं पानी को भी दूषित कर दूँगा और मिट्टी में दबाया तो उस मिट्टी को भी बर्बाद कर दूँ, खेतों को बंजर बना दूँ। और गलती से अग़र जानवर मुझे खा ले तो फिर उनको भी बीमार बना सकता हूँ। अब बताओ शक्तिशाली कौन हुआ मैं या तुम?"
ये सब सुन कर शराब ने भी प्लास्टिक के सामने अपने घुटनें टेक दिए।और बस यही बोल कर वहाँ से निकल गए कि- "इंसान ने अपनी बर्बादी का सामान ख़ुद ही बना रहा हैं और उसके अवगुण को जान कर भी उसका प्रयोग करता जा रहा हैं।
©® Shalini Gupta
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