पूरे कमरे में बस एक आवाज़ सुनाई दे रही थी वो थी मेरे साँसों की, जो बिलख-बिलख कर रोने के बाद साँसों में एक भारीपन का अनुभव महसूस करा रही थी और उस खाली कमरे में गूँज रही थी। आज कई महीने बीत गए, तुमसे बात नही किया और करता भी कैसे तुमने तो साफ़-साफ़ लफ्ज़ो में कह दिया था कि अब मेरे पास इतना वक़्त नही की मैं तुम से रोज़ रोज़ यूँ बात करूँ। पता है जब तुमने ऐसा बोला था तो मेरे जहन में बस एक ही बात आयी की अब तुमको कॉल नही करना है। इस दिल का क्या करूँ ये तो मानता ही नही और इसी के बहकावे में आ कर मैंने तुमको फिर भी कॉल किया। पर इस बार मेरा कॉल तुमको रोज़- रोज़ नही जाता हफ़्ते या दस दिन में एक बार। हद्द तो उस वक़्त टूट गयी मेरे सहने की जब तुमको 3 घंटे तक कॉल करने के बाद भी तुमने फ़ोन उठाना जरुरी नही समझा क्योंकि तुम्हारा मूड नही था मुझसे बात करने का। बस फिर क्या था एक वो दिन था और एक आज का दिन तब से कॉल नही किया तुमको। जब तुम्हारा मन होता और तुम्हारे पास वक़्त होता तो 20-25 दिन में 1 या 2 बार कॉल कर लेती थी। लेकिन अब ये सिलसिला भी ख़त्म हो गया। अब हम एक दूसरे के लिए अज़नबी हो चुके है ना तुमको मेरी ज़रूरत रही ना मेरे प्यार की, ना तुमको मेरा एहसास रहा और नाही अब कोई जज़्बात जो हमें जोड़ के रखे। आज बस यही सोच कर तुम्हारा सारा नम्बर डिलीट कर दिया मोबाइल से, कि अब तुम्हारा कॉल कभी नही आएगा और ना ही तुम्हारा नम्बर फ़ोन लिस्ट में होगा जिससे शायद मैं भूल कर भी तुमको कॉल ना कर सकूँ।
बहुत दूर निकल चुकी हो तुम, मेरे जहन में तो हो पर मेरी जिंदगी में नही, मेरे पास्ट में तो हो मेरे प्रेजेंट में नही। जब मन होगा तुमसे बात करने का रो लूँगा पर तुमको क़भी परेशान नही करूँगा। अब बस खुश रहो तुम अपनी दुनिया में.....🎵. "तेरी दुनिया से हो के मज़बूर चला,
मैं बहुत दूर,बहुत दूर, बहुत दूर चला...
©® Shalini Gupta
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