अपनी ज़िन्दगी को यूँ ही दोस्तों के साथ जीने वाला, जो कभी दोस्तों को ही अपनी जिंदगी मानता था आज उन दोस्तों से दूर हो गया। क्योंकि उसे भी तलाश थी किसी ऐसे की जो सिर्फ उसका हो उसे वो एहसास कराये कि वो भी किसी के लिए बहुत स्पेशल है। वो मिल भी गयी पर शायद ये मिलना कुछ पल का था। उसकी किस्मत उससे तो कुछ और ही चाहती थी शायद उसे ठोकर खा के संभलना लिखा था। वो उस लड़की के छोड़ जाने के बाद इतना टूट सा गया कि उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उसके दोस्तों ने उसको सहारा दिया उसका हर दर्द ग़म बाँटा तब जा कही उसे थोड़ा उसे सुकूं मिला।
और इन सब के बीच उसके दर्द की एक दवा और बनी जिसे उसने अपनी ज़िन्दगी बनाया और वो थी शायरी और कहानियाँ। उसे अपने दर्द को बाहर निकालने का जरिया मिल गया था। वो हमेशा कहा करता था " मैं लिखूँगा क्योंकि लिखना ज़िन्दगी है मेरी"। उसने उस यार पर ना जाने कितने शेरों शायरियाँ लिख डाली।
एक दिन उसके कुछ दोस्तों ने पूछा लेखक हो भाई तो कुछ सुनाओ ।उसने अपने प्यार में लिखी कई शायरियाँ सुना डाली। बड़े ध्यान से सुनने के बाद उसमे से एक दोस्त ने बस इतना ही पूछा कि सबसे ज़्यादा प्यार किससे करते हो? उसने जवाब दिया अपने "रब्ब को"। इतना सुनते ही वो बोले तो उनके लिए जो लिखा वो सुनाओ। उसके पास कुछ नही था सुनाने को वो चुप चाप सुनता रहा क्योंकि उसके दिल में ये बात कही घर कर गयी थी। उन्हों उसे एक गिफ्ट दिया और मुस्कुरा के चले गए।जब घर आ कर उसने वो गिफ्ट खोले तो उसमें एक धार्मिक ग्रंथ थी "बाइबिल"। उसको पढ़ कर वो इतना प्रभावित हुआ कि उसने ठान लिया आज से उस लड़की पर वो कुछ नही लिखेगा और ये जो अनमोल उपहार उसे मिला है उसकी इज्जत करेगा। एक बार फिर उसकी ज़िन्दगी बदल चुकी थी और ये बदलाव उसके जीवन के लिए अच्छा था। उसने उसको माफ़ कर दिया उस लड़की को और अपनी हर सोच से आज़ाद कर उस रब्ब को महसूस करने लगा जिसने उसे ये जिंदगी दी। आज वो बदल गया हैं और खुश है अपने रब्ब के हर फैसले से क्योंकि उसे विश्वास है उसका रब्ब उसे कभी गिरने नही देगा।
©® Shalini Gupta
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