वक़्त की रफ़्तार हमेशा से एक जैसी ही रही है। चाहे हम ख़ुशी के पल जिए या ग़म के, वक़्त अपने रफ़्तार पर ही चलता रहता हैं। पर पता है जब हम ग़म में होते है तो हमें लगता है कि खुशियों वाला वक़्त शायद पंख लगा के आता है जो कुछ पल में ही फुर्ररर से उड़ जाता है। पर ऐसा नही होता हम शायद ये भूल जाते हैं कि ख़ुशी का सही मायने में अनुभव ग़म के बाद ही किया जा सकता है, या यूँ भी कह ले कि ग़म ना होता तो शायद हम खुशियो को जान नही पाते। वैसे तो हर इंसान में यही कमी है....जैसे कि वो एक ख़ुशी को 2 बार सेलिब्रेट कर के खुश नही होता, जबकि वो अपने 1 ही गम को लेकर हफ़्ते, महीने और कभी-कभी तो सालों गुज़ार देता हैं। ख़ुशी अगर आना भी चाहती हैं तो आपके इस रवय्ये से उल्टे पाँव वापिस चली जाती हैं। आखिर उसका भी तो आत्म सम्मान है।
इसलिए ज़िन्दगी में होने वाले उतार-चढ़ाव से कभी घबराना नही चाहिये। ये ज़िन्दगी की गाड़ी है आगे बढ़ती जाती हैं। ज़िन्दगी के सफ़र में जो स्टेशन चले गए वापिस नही आते। इसलिए हर पल का मज़ा लें। क्योंकि ज़िन्दगी खूबसूरत है।
🎼"ज़िन्दगी के सफ़र में
गुजर जाते हैं जो मकाम
फिर नही आते...फिर नही आते।।"
और वैसे भी पता नही कितने दिन बाकी है ज़िन्दगी के कौन जानता है,और फिर इंसान का जन्म मिले ना मिले। अपनी इस खुबसूरत सी ज़िन्दगी का वेलकम करे और हर पल का मज़ा लें। क्योंकि "ज़िन्दगी खूबसूरत हैं......"
🎼"आने वाला पल जाने वाला है
हो सके तो इसमें ज़िन्दगी बिता दो
पल जो ये जाने वाला हैं।।"
©® Shalini Gupta
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