।।अभिश्राप है ये अभिमान नहीं।।
हैवान जहाँ बस्ते हो,
भगवान मैं कैसे बच पाऊ।
ना बना तू इतना बेबश मुझको,
दरिंदो से मैं ना लड़ पाऊ।।
मेरी कोमल कोमल अंगों को,
वो मसल रहे हो पत्थर जैसे।
मेरी चींखें ना सुने कोई,
बेहतर है कोख में मर जाऊ।।
ना जानती थी ना सोचा था,
ऐसे भी दिन कोई आएगा।
मैं चीखूंगी चिलाउंगी,
आवाज ना कोई सुन पायेगा।।
मैं जला करी जिस नरक में,
ऐसा किया तो कोई गुनाह नहीं।
मैं लड़की बन के पैदा हुई,
अभिश्राप है ये अभिमान नहीं।।
।।अभिश्राप है ये अभिमान नहीं।।
©® Shalini Gupta
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Hum bas ehsaas padhte hai..sach Likha hai ..andho ko Kitna Bhi aaina dikhao kya fayda...
ReplyDeleteThankeww Mr. Sohit Kumar🙏
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