वो सहमी-सहमी रहती है,
लेकिन हरदम मुस्काती है।
वो लड़की है दीवानी सी
दिल में घर कर जाती है।।
लेकिन हरदम मुस्काती है।
वो लड़की है दीवानी सी
दिल में घर कर जाती है।।
बातें कभी उसकी मिर्ची सी,
कभी भरी चाशनी लगती है।
नैन हैं उसके मधुशाला,
अधरों पे मदिरा रखती है।।
उसकी नटखट मुस्कान से तो,
वो चाँदनी भी शरमाती है।
वो लड़की है दीवानी सी,
दिल में घर कर जाती है।।
केशों को जब वो खोले तो,
पल भर में घटायें छाती हैं।
गुलशन भी उससे ही गुल का,
गुलदस्ता लेने आती है।।
दसनो की चमक बिज़ली जैसी,
गर्दन-ए-सुराही रखती है।
वो लड़की है दीवानी सी
दिल में घर कर जाती है।।
अपने भौहों की नटखटता से,
मन मोह सभी का जाती है।
कड़ी धूप में जब भी वो,
पलकें अपनी झपकाती है।
कुछ पल के लिए तो चारो तरफ,
इक शीतलता सी छा जाती हैं।।
वो लड़की है दीवानी सी
दिल में घर कर जाती है।।
जब चलती कमर लचका कर वो,
करधन भी खुद पर इतराती हैं।
पैरों के पायल की घुँघरू,
इक मधुर ध्वनि फैलाती है।।
वो खुद तो उलझी रहती है,
पर लट अपने सुलझाती है।
वो लड़की है दीवानी सी,
दिल में घर कर जाती है।।
उसके कान के झुमके को,
जब तेज हवा छू जाती है।
फिर पूछो ना कुछ पल के लिए,
वो ठहर उसी में जाती है।।
वो चंचल बिल्कुल मन जैसी
आँखों में ख़्वाब सजाती हैं।
वो लड़की है दीवानी सी
दिल में घर कर जाती है।।
©® Shalini Gupta
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वाह्ह्ह्ह....बहुत सुन्दर.... वो लड़की दीवानी सी 💖💖💖
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