वो रात बड़ी खामोश रही,जिस रात मुझे ले जाना था।
उसको भी थी मेरी चाहत, मेरा मौत से रिश्ता पुराना था।।
वो खुश थी अपनी चाहत में, पर वो शायद अंजान रही।
जो छूट रहा थी जिंदगी मेरी, वो साँसों की तलाश में थी।।
जीवन को कुछ मोह था मुझसे, वो दुखी मेरे अगलात से थी।
वो रोक पाए मुझको कैसे, ना जाने किस फ़िरात में थी।।उसको भी थी मेरी चाहत, मेरा मौत से रिश्ता पुराना था।।
वो खुश थी अपनी चाहत में, पर वो शायद अंजान रही।
जो छूट रहा थी जिंदगी मेरी, वो साँसों की तलाश में थी।।
जीवन को कुछ मोह था मुझसे, वो दुखी मेरे अगलात से थी।
सब कुछ कर के देखा उसने, पर बचा सकी ना जब मुझको वो।
बडी बाध्य हो बिछड़ी मुझसे, उसने दर्द भरी इक आह भी ली।।
एक तरफ था मौत का सुख, एक तरफ ज़िन्दगी हताश सी थी।
मौत से मेरे वस्ल देख कर, वो जीवन बड़ी उदास सी थी।।
बडी बाध्य हो बिछड़ी मुझसे, उसने दर्द भरी इक आह भी ली।।
एक तरफ था मौत का सुख, एक तरफ ज़िन्दगी हताश सी थी।
मौत से मेरे वस्ल देख कर, वो जीवन बड़ी उदास सी थी।।
©® Shalini Gupta
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