इस दिल की दुनिया से भी जुदा,
एक दुनिया जो होती है।
उसमे जज़्बात नही बसते,
बस दुनियादारी चलती है।।
इस दिल की दुनिया का यारो,
कोई हमदम ही अनोखा होता है।
पर इस दुनिया के लोगो का,
रिवाज़ अलग ही होता है।।
हम चाहते जिसे वो ना मिलता है।
बस एहसास-ए-वफ़ा के साथ
वो जलती है, दिल जलता हैं।।
दिल चाहता है कि पा जाऊँ मैं,
चाहत अपनी हर हाल में।
पर ये रस्मे-रिवाजें बसती है,
दुनिया के इस जंजाल में।।
माया मकड़ी के जाला जैसी,
ये लगती दुनियादारी है।
इस जले में ही फाँस कर तो,
दिल ने उम्मीदे हारी हैं।।
इस दिल की दुनिया से भी जुदा,
एक दुनिया जो होती है।
उसमे जज़्बात नही बसते,
बस दुनियादारी चलती है।।
©® Shalini Gupta
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