कहतें है कि जब आप किसी को दिल से भूलने की कोशिश करो तो पूरी क़ायनात उसे आपको उसके साथ बिताए हुए हर लम्हें को याद दिलाने में कोई कसर नही छोड़ेगी। तो बात है उन दिनों की जब हमारे सम्बन्ध-विक्षेद (ब्रेक अप) को कई साल बीत गये थे। उसकी शादी हो चुकी थी यही वजह थी हमारे अलग होने की, अगर आप ऐसा सोच रहे है तो ऐसा नही है। हम दोनों में दूरियाँ तो तभी आ चुकी थी जब उसने मुझसे अपनी बातें छुपाना शुरू कर दिया था। क्योंकि उसके दिल में उस इंसान ने घर बना लिया था जिससे उसकी शादी होने वाली थी। और जैसे ही मुझे इस बात का आभास हुआ मैं उसकी ज़िन्दगी से ऐसे चला गया जैसे कभी था ही नही। कहते है ज़िन्दगी की हर पहली चीज बड़ी ही यादगार होती है, शायद तभी आज भी कभी-कभी पहली मोहब्बत का नाम सुन कर उसका वो मासूम सा चेहरा मेरी आँखों में छा जाता है।
ब्रेक अप के बाद इंसान से वफ़ा को लेकर विश्वास ही उठ गया। और मैंने फिर किसी को अपने करीब नही आने दिया इस डर से कि, कही फिर से किसी के होंठों की हँसी बनू और मेरे जिंदगी से मुस्कराहट तक छीन ले। ख़ैर मैं अब सिंगल था और वो मिंगल।
और अब मैं काफ़ी हद तक उसके यादों के क़ैद से आज़ाद हो चूका था कि अचानक.............अचानक से एक दिन मेरी अलमारी से उसकी दी हुई डायरी मेरे हाँथ में आ गयी जिस पर उसने कभी इज़हार-ए-मोहब्बत किया था आह! ना जाने कितने वाक्यांश मेरे आँखों के इर्द-गिर्द नाचने लगे। मानों दिल के ज़ख्मो को किसी ने बड़े अरसे के बाद कुरेद दिया हो। अपनी भावनाओ पर लगाम लगाते हुए मैंने एक लंबी आह के बाद उसे फिर से अलमारी के किसी कोने में रख कर तैयार होने चला गया क्योंकि आज दोस्त की बर्थडे पार्टी थी। मेरी आदत है वक़्त पर पहुँचने की तो वहां भी वक़्त से पहुँच कर मैंने दोस्तों के साथ मस्ती करना शुरू कर दिया चेहरें पर झूठी हँसी का सैलाब लिए मैं महफ़िल की रौनक़ बढ़ा ही रहा था कि अचानक से इक चेहरे को देख कर मेरे जज़्बात एक बार फिर से उस दुनियाँ में जाने को मज़बूर हो गए। हाँ, वो वही थी जिसके लिए मेरा दिल पहले प्यार के नाम से धड़क उठता था। आज कितने सालों के बाद उसे सामने से देखा। उसको वहां पर देखना मेरे ज़ख्मो को हवा देने जैसा था जिसको थोड़ी ही देर पहले डायरी ने ताजा किया था। पर अब उसकी तरफ़ देखना भी नागुज़ारा था, जिसकी एक झलक पाने के लिये मैं 2-2 घंटे उसके कोचिंग से आने का इंतज़ार करता था। अब हम दोनों ही वहाँ थे। ब्रेक अप के बाद ये हमारी दूसरी मुलाक़ात थी। उसकी नज़रे मेरी नजरों से टकरा गई और फिर हम दोनों ने एक दूसरे को देख कर भी अनदेखा कर दिया ऐसा लगा उसे देख कर कि ये वो तो नही जिससे मैंने प्यार किया था। क्योंकि वो पूरी तरह बदल चुकी थी....वो अब किसी और की थी शायद इस बात से मेरी नजरों ने मुझे इस बात की इजाज़त ही नही दे रही थी की मैं उसकी तरफ देखूं। पर ये सब मेरे ज़ख्मो पर नमक का काम कर रहे थे। मैंने फिर वहाँ पर अपने ग़मो को दरकिनार कर अपने चेहरे पर एक मस्तीखोर इंसान का मुखौटा लगाया और सबको फिर से खूब हँसाया। और अलग़ बात है कि रात को मेरे तकिये मेरे आँसुओं की बरसात में भीगते रहे और फिर ना जाने कब सुबह हो गयी और इन सब बातों को एक तरफ करते हुए मैंने फिर नयी शुरुआत कह कर खुद को बहका दिया। और फ़िर कभी किसी को अपने ज़िन्दगी में ना लाने की कसम खाई।
©® Shalini Gupta
.
Follow her on social sites
Faceboo :- Click here
बहुत ही सुन्दर कहानी....बेजोड़ लेखन 👏👏👏
ReplyDeleteShukriya
Delete