दुनिया में कई रिश्ते है जिनको हम निभाते है...ये खून के रिश्ते होते ही ऐसे हैं। जहाँ हम अपने भाई-बहन, मम्मी-पापा, दादा-दादी, चाचा-चाची और बाकी सबके साथ रहते है। इन सब से लगाव हमारा इस लिए होता है क्योंकि कही ना कही ये अपने होते हैं और ये रिश्ते हमें हमारी विरासत में मिलते हैं। पर दूसरी तरफ़ हमारा एक और भी परिवार होता है अरे हाँ वही जहाँ हमारी जम के बेज्जती होती है, जहाँ पर हम अपने सोच की उड़ाने भरतें है, जहाँ पर कोई छोटा बड़ा नही होता, कोई हिन्दू-मुस्लमान नही होता, जहाँ कोई दुनियादारी नही चलती, जहाँ लालच-ईष्या, भेद-भाव, घमंड कुछ नही होता अगर कुछ होता है तो बस प्यार। अब तो आप समझ ही गए होंगे मैं किस दुनिया की बात कर रही हूँ, हाँ सही पहचाना वो कोई और नही दिलवालों की दुनिया मतलब दोस्तों की दुनिया होती हैं। हर रिश्ते का गुण रखता है शायद इसी लिए इतना अजीज़ होता हैं।
दोस्ती, कहने को तो एक छोटा सा शब्द है पर इसके मायने की हद्द बहुत ही बड़ी हैं। दोस्त वो होते हैं जो हमें हमारे दोषों के साथ अपनाते हैं। कभी-कभी तो ये ख़ून रिश्तो पर भी भरी पड़ जाता हैं। ये रिश्ते शायद इस लिए भी अनमोल होते हैं कि क्योंकि ये कही से बन के नही आते, इन्हें हम खुद बनातें हैं।
ज़िन्दगी के हर सफ़र में कोई ना कोई ऐसा ज़रूर मिल जाया करता है जो हमें इस "दोस्ती" लफ्ज़ के मायने समझाता हैं। जो हमारे साथ रोता भी हैं और हमें हँसाता भी हैं, हमारा ग़लत काम में साथ भी देता हैं और हमें समझाता भी हैं।
ज़िन्दगी में ये रिश्ता उतना ही ज़रूरी है जितना कि- आगरा में ताज, लुड़ों में साँप, फिल्मों में गानें, चाय में चायपत्ती, सब्जी में नमक, मंदिर में भगवान, मस्ज़िद में अज़ान। सच कहूँ इस ज़िन्दगी को अगर कोई खूबसूरत बनाता हैं इसमें खुशियों के रंग सजाता है, इसे फूलों से महकता हैं, तन्हाई में साथ दे जाता है, खुद रो कर हमें हँसाता हैं, तो वो होता है दोस्त।
इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी में हम ना जाने कितने लोगो से मिलते हैं, और हर उम्र में कही ना कही कोई ना कोई ऐसा मिल ही जाता है जिससे हम सब कुछ शेयर कर लेते हैं चाहे वो सही हो या ग़लत, जब बात दोस्त की हो तो नाजायज़ भी जायज़ से बढ़ के लगने लगता हैं।
दोस्ती, कहने को तो एक छोटा सा शब्द है पर इसके मायने की हद्द बहुत ही बड़ी हैं। दोस्त वो होते हैं जो हमें हमारे दोषों के साथ अपनाते हैं। कभी-कभी तो ये ख़ून रिश्तो पर भी भरी पड़ जाता हैं। ये रिश्ते शायद इस लिए भी अनमोल होते हैं कि क्योंकि ये कही से बन के नही आते, इन्हें हम खुद बनातें हैं।
ज़िन्दगी के हर सफ़र में कोई ना कोई ऐसा ज़रूर मिल जाया करता है जो हमें इस "दोस्ती" लफ्ज़ के मायने समझाता हैं। जो हमारे साथ रोता भी हैं और हमें हँसाता भी हैं, हमारा ग़लत काम में साथ भी देता हैं और हमें समझाता भी हैं।
ज़िन्दगी में ये रिश्ता उतना ही ज़रूरी है जितना कि- आगरा में ताज, लुड़ों में साँप, फिल्मों में गानें, चाय में चायपत्ती, सब्जी में नमक, मंदिर में भगवान, मस्ज़िद में अज़ान। सच कहूँ इस ज़िन्दगी को अगर कोई खूबसूरत बनाता हैं इसमें खुशियों के रंग सजाता है, इसे फूलों से महकता हैं, तन्हाई में साथ दे जाता है, खुद रो कर हमें हँसाता हैं, तो वो होता है दोस्त।
इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी में हम ना जाने कितने लोगो से मिलते हैं, और हर उम्र में कही ना कही कोई ना कोई ऐसा मिल ही जाता है जिससे हम सब कुछ शेयर कर लेते हैं चाहे वो सही हो या ग़लत, जब बात दोस्त की हो तो नाजायज़ भी जायज़ से बढ़ के लगने लगता हैं।
"गम की ज़िन्दगी में मुस्कान है दोस्ती
तपती धूप में सुनहरी छाव है दोस्ती
दोस्ती का रिश्ता हर रिश्ते से है बड़ा
दोस्तों के लिये तो ईमान है दोस्ती"
"ये ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत ना होती,
जो किस्मत में मेरी दोस्ती ना होती"
जो किस्मत में मेरी दोस्ती ना होती"
©® Shalini Gupta
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बहोत खूब शालिनी जी
ReplyDeleteBahut bahut shukriya Vikash ji
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