कई दिन बीत गए मुझे घर से बाहर निकले हुए। और जब आज थोड़ी हिम्मत जुटा कर घर की दहलीज़ पार की, तो पास पडोस के लोगो की नजरें मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे मैंने किसी को जान से मार दिया हो या किसी के यहाँ चोरी की हो। लोगो की नजरों का सामना करते हुए, खुद के मन में उठने वाले सवालों के बोझ को अपने पर्स के उस हैंडल पर डालते हुए मैं चुप चाप गली से बाहर निकली। कुछ लोग तो एक बार मैग्जीन में छपी हुई मेरी तस्वीर को देखते तो एक बार मुझे। मेरे मम्मी पापा के दिए गए संस्कारों पर सवाल उठाते। समझ में नही आता कि, क्या मॉडल होना इतनी शर्म की बात है या मॉडलिंग गन्दी चीज है। कुछ लोगो ने तो मेरे कपड़ो पर भी फब्ब्किया कसना शुरू कर दिया और कहने लगे की यहाँ पर सलवार कमीज़ पहन कर भोली भाली लड़की बनती है और मैग्जीन में ना जाने कैसी कैसी तस्वीरे छाप रखी है इसकी। कुछ पल के लिए ऐसा लगा सब छोड़ दूँ और यहाँ से कही दूर चली जाऊँ।मैं थक चुकी थी लोगो के रोज़ रोज़ के तानो से। और घर भी वापिस नहीं जा सकती थी घरवालों से बगावत जो कर रखी थी अपने सपनो को लेकर। और इतना आगे तक सफर तय करने के बाद वापिस कदम लेने पर भी उतना ही सफर तय करना पड़ता जितना की आगे निकल आयी थी। इन्ही सब उलझनों में उलझी थी कि अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजी और किसी तरह हिम्मत कर के फ़ोन उठाया तो पता चला कि वो फिल्म इंडस्ट्री के किसी बड़े डाइरेक्टर का फ़ोन था जो अपने फ़िल्म में एक नए चेहरे की तलाश में थे। और वो अपनी फिल्म में मुझे लीड रोल (हीरोइन का क़िरदार) देना चाहते थे। उनकी बात सुन कर मानो मेरे सपनों को उड़ने के लिए जिस उडन तश्तरी की जरूरत थी वो मिल गयी हो। काफ़ी समय के बाद थोड़ा सुकून सा मिला और मैंने अपने सपनो को उड़ान देने के लिए कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया। आज मेरी पहली फ़िल्म पर्दे पर आयी और क़ामयाबी ने दरवाज़े पर दस्तक़ क्या दी वो सब लोग मुझसे आदर से बात करने लगे जो कभी मेरे काम को लेकर मुझे गालियां देते थे। अब जो निगाहें मुझे गिरे हुई समझ कर देखती थी अब उनमे भी मेरे लिए सम्मान की झलक थी। तब जा कर समझ आया की इज्ज़त कामयाबी से मिलती है ,अगर आप कामयाब है आपके पास पैसे है तो लोग आपकी चाकरी करने तक को तैयार हो जायेंगे। और वही पर अगर आप समाज से हट कर कुछ करने की सोचते हो तो ये लोग आपको समाज की नजर में गिरा हुआ साबित कर देंगे। इसलिए करे वही जो अपना दिल करे बाकी-
कुछ तो लोग कहेंगे..लोगो का काम है कहना।।
कुछ तो लोग कहेंगे..लोगो का काम है कहना।।
©® shalini Gupta
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