Aakhri Baat - DOORI KA EHSAAS

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Wednesday, July 4, 2018

Aakhri Baat





‌अपने अंदर छाए हुए तन्हाई के सन्नाटों से, कुछ पल की दूरी बना कर तुमसे बात करने के बहाने ढूँढता था | मैं और यही सोचता था कि ऐसा क्या करूँ की तुम मेरे मैसेज का रिप्लाई करो। तुमको फ़ोन करने की हिम्मत नहीं थी मुझमे, डरता था कि, कही तुमको ऐसा न लगे की तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई और है, फिर भी हम तुमको अपना बनाना चाहते है |और अब इतना हक़ तो नही था कि रोज़ कुछ ही देर के लिए पर तुम्हारी आवाज एक बार सुन लूँ पर बात भी क्या करता, तुम इतना बदल गयी थी की तुमसे बात करके ऐसा महसूस ही नही होता था कि तुम वही हो, जिसको कभी मेरे हँसते हुए चेहरे के पीछे की उदासी दिख जाती | मेरे ज्यादा बोलने पर जो कहती "बाबू बस भी करो अब बता भी दो क्या बात है" |और अब तुमसे बात करने के बाद जब तुम में खुद को नही पाता था कही, तो पल पल का किस्तों में मरना होता था। फिर इक दिन इक नया तरीका ढूंढा तुमसे बात करने का, गूगल से अब रोज़ नए नए क्विज़ ले कर आता और सब के साथ तुम पर भी सेंड कर देता था। कभी-कभी तुम रिप्लाई भी करती थी तो कभी-कभी सीन कर के छोड़ देती थी। पर दिल के हाँथो मजबूर हो कर मैं फिर कोई नई क्विज़ भेज देता और तुम जब रिप्लाई करती तो उसी बहाने तुमसे थोड़ी बहुत बातें भी हो जाती थी। कुछ दिन बीते ही थे की किसी बात को लेकर हम दोनों में हल्की सी नोंक झोंक हो गयी और मैंने कहा हम दोनों एक दूसरे की बात से हर्ट ना हो, मैंने हमारे बीच बचे खुचे रिश्ते को भी ख़त्म करने का फैसला ले लिया और उस रात कह भी दिया की, "अब हम दोनों के बीच इतनी दूरिया आ चुकी है कि शायद कभी मिट ना सके और साथ रहे तो एक दूसरे को तकलीफ के सिवा कुछ ना दे सकेंगे, इससे अच्छा है कि हम इक दूसरे से सारे रिश्ते ख़त्म कर दे" | तुमने उस वक़्त कोई जवाब नही दिया मुझे लगा शायद तुम बात को बढ़ाना नही चाहती इसलिए मुझे रिप्लाई नहीं दे रही हो।2 महीनों के इन्तजार के बाद ये बात समझ में आ गयी कि तुम तो यही सुनने के इन्तजार में थी क्योंकि तुम थक चुकी थी मुझसे, शायद अब तुममे वो क्षमता नही रह गयी थी जो मुझे और मेरी गलतियों को झेल सके। अब सोच लिया है कि तुम्हारी ज़िन्दगी से इतने दूर हो जाना है कि तुम कभी चाह कर भी मेरे पास आ ना सको | ये तो बस खुद को बहलाने के लिए कह रहा हूँ, सच तो ये है कि तुम कभी वापिस आ ही नही सकती, इतनी दूरी हो गयी है जो कभी मिट ही नही सकती।
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©® shalini Gupta
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