लो चल दिए हम अब तेरी महफ़िल से।
मेरी रुसवाईयाँ अब मुझे बर्दाश्त नही।।
क्या हुआ जो अब हम तेरे ना रहे।
तू भी तो अब मेरे लिए खास नही।।
तूने माना था कभी खुदा मुझे अपना।
आज मेरा तो उस खुदा पर भी विश्वास नही।।
एक तेरे ख़ातिर क्या कुछ नही किया हमने।
पर अब खैर तुझे कुछ भी याद नही।।
तेरे हर एक गम को मैंने अपना समझा।
और तुझे मेरे आँसुओं की भी परवाह नही।।
क्या हुआ जो बदल गयी हो इतना तुम।
वजह मैंने ही दिया है तो कोई बात नहीं।।
वो दिन भूल गयी जब चाहत थी तुझे मेरी।
अब तेरी चाहत कोई और है तो कोई बात नही।।
तेरे जाने के बाद बहुत अकेला सा हो गया था मैं।
पर अब जब संभल गया हूँ तो कोई बात नही।।
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