Ek Kasak - DOORI KA EHSAAS

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Monday, July 2, 2018

Ek Kasak



आज फिर दिल में इक कसक लिए मन्दिर गया था,  पर भगवान से कुछ माँगने नही बस उस कसक की चुभन से थोड़ा सा सुकून चाहिए था, जो सुकूं तुम जाते हुए अपने साथ लेती गयी थी। बहुत गुस्सा था भगवान से मैं, मेरी सारी खवाइशों को पूरा किया जो माँगा वो सब कुछ दिया पर मुझे पता ना था कि मेरी छोटी-छोटी ख्वाइशों के बदले वो मेरे जीने की सबसे बड़ी वजह को ही मुझसे दूर कर देंगे। अगर मुझे पहले पता होता तो मैं कभी कुछ नही माँगता शिवाय इक तुम्हारे प्यार के। पता है मुझे की तुम्हारा मुझे छोड़ जाने का फैसला तुमने मेरी लापरवाहियों की वजह से लिया, ऐसा तो नही था कि मैं तुम्हारी कोई भी बात नही मानता था, परवाह थी मुझे तुम्हारी, लेकिन तुम्हारी ज़िन्दगी में मुझसे कोई बेहतर इंसान आ चुका था जो बिल्कुल वैसा था जैसा तुम मुझे बनाना चाहती थी। जिसकी वजह से तुमने मेरे अंदर के प्यार को देखना बंद कर के बस मेरे गुस्से और ग़लतियों को देखना शुरू कर दिया। अब मुझे तुमसे ना वो वक़्त मिलता ना वो प्यार जिस पर कभी सिर्फ मेरा बस मेरा ही हक़ हुआ करता था तुम्हारी और मेरी बढ़ती दूरिया किसी और की तरफ़ तुम्हारी नजदीकियां बढ़ने का संकेत थी इस बात से बिलकुल अंजान था मैं सोचो कितना नादान था मैं। नही जानता था कि अब तुम पर मेरा हक़ नही रहा और जब तुमने ये आ कर बोला की "तुम किसी और से प्यार करती हो" तो  मुझे ऐसा लगा की मानो मेरे पैरों के नीचे से किसी ने ज़मीन खींच ली हों। आँखे बंद करके मैं भरोसा किया था तुम पर, और तुमने साबित भी कर दिया की अंधा ही था। तुम्हारे बताने के बाद भी यही सोचता रहा शायद तुम मज़ाक कर रही हो, ये भी मानने को तैयार नही था कि तुम मुझे इस तरह छोड़ के जा सकती हो। तुम मेरी ग़लतियो की सज़ा इस तरह से दोगी ऐसा कभी  कल्पना भी नही किया था। तुम्हारे यूँ बीच सफर में छोड़ जाने के बाद बहुत रोया, बहुत अकेला सा हो गया, खुद के भरोसे को बिखरता देख पूरी तरह बिखर गया था मैं, खुद को किसी तरह कतरों में संभाला ही था कि कुछ ही दिनो के बाद जब तुमको तुम्हारी मोहब्बत के साथ खुश देखा तो इस बात पर यकीन हो गया कि जो होता है अच्छे के लिए होता है क्योंकि तुम ऐसे इंसान के साथ थी जैसा तुम मुझे बनाना चाहती थी जिसको मेरे अंदर तुम ढूंढ कर थक चुकी थी। तुमको अपने साथ इतने सालों में मैंने इतना खुश कभी नही देखा। उस वक़्त तुम्हारे आँखों में वो चमक थी जो तुम्हारे जहेंन की ख़ुशी को बयां कर रहे थे।
    लेकिन एक कसक आज भी दिल में रह गयी की काश तुम एक बार शिकायत करती मुझसे, मैं सब कुछ करता तुम्हारे लिए पर तुमको खुद से दूर ना जाने देता। काश के मैं तुमको रोक पाता और बता पाता की कुछ भी नही हूँ मैं तुम्हारे बिना...काश
    पर ये काश, काश बन कर ही रह गया और दिल में वो कसक आज भी बाकी है कही और दिल आज भी यही कहता है.......
             "ओ सनम ओ सनम काश होता अगर।
           तुम निभा जाते ये, ज़िन्दगी का सफ़र।।
         हम भी तन्हा ना रहते यूँ ही उम्र भर।
      तुम साथ होते अगर तुम पास होते अगर।।"


@Doori Ka Ehsaas
https://m.facebook.com/charli.jee.1

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