एक यार पुराना था,वो बीता जमाना था।
जब होती थी बाते,दिन भर का फ़साना था।1।
कुछ कहना होता था,कुछ सुनना होता था।
दिल खोल के रख देते,ऐसा लम्हा होता था।2।
उसके बिना एक पल,हम काट ना पाते थे।
उसमें भी मिलने का,इक एहसास तो रहता था।3।
मैं होंठों से ना कहती कुछ,वो बिन बोले समझता था।
मेरे एहसंसों को वो,लफ्जों में पिरोता था।4।
रोना मेरा उसको,इक पल न गवाँरा था।
मेरी खुशियों की ऐसे,वो परवाह करता था।5।
वो बेमौसम की बारिश था,जो मुझपे बरसा था।
वो छोड़ गया मुझे ऐसे,जैसे बीता लम्हा था।6।
@Doori Ka Ehsaas
✍️शालिनी गुप्ता
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