Samajhdaar Ho Gaya Hun - DOORI KA EHSAAS

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Wednesday, April 10, 2019

Samajhdaar Ho Gaya Hun




तेरे दिए हर एक जख्मों का तलबगार हो गया हूँ।
ऐ वक़्त, देख मैं कितना समझदार हो गया हूँ।।

अब शिकायत नहीं करता मैं ज़िन्दगी में किसी से।
कोई साथ दे तो अच्छा और न दे तो भी अच्छा।
क्योंकि अकेले चलने को मैं तैयार हो गया हूँ।
ऐ वक़्त, देख मैं कितना समझदार हो गया हूँ।।

यहाँ रह कर बख़ूबी इस बात को जान लिया मैंने।
मुफ़लिसी के दौर में किसी का कोई साथी नही होता।।
और ज़िन्दगी के हर पहलू का जानकार हो गया हूँ।
ऐ वक़्त, देख मैं कितना समझदार हो गया हूँ।।

लोग कहते थे मुझे बड़े मासूम हो तुम।
मैं अब लोगों को कहने को तैयार हो गया हूँ।।
अब वक़्त ने छीन ली मुझसे मेरी मासुमियत देखो।
मैं तूफ़ान से भी टकरा जाऊं वो हथियार हो गया हूँ।।
ऐ वक़्त, देख मैं कितना समझदार हो गया हूँ।।

©® Shalini Gupta
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2 comments:

  1. बहुत सुन्दर लिखा है , एक जिम्मेदार रचना जिम्मेदार कवियत्री के द्वारा। .. बहुत अद्भुत
    your quotes से यहां तक चले बहुत अच्छा लगा ब्लॉग पढ़ के।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका।🙏

      Delete

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