Tumko Likhna Chahti Hun - DOORI KA EHSAAS

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Friday, November 3, 2017

Tumko Likhna Chahti Hun

वैसे तो एहसास बहुत है, मेरे दिल के पन्नो पर।
हो जिसमे बस जिक्र तुम्हारा, उनको लिखना चाहती हूँ।।
सच बोलू तो हमदम मेरे, अपने हर एहसासो पर।
मै तुमको लिखना चाहती हूँ, मै तुमको लिखना चाहती हूँ।।

मेरे कोरे कागज जैसी, तन्हा सी इस दुनिया मे।
कुछ गजल सुनहरे शब्दो मे, मै उनको लिखना चाहती हूँ।।
सच बोलू तो हमदम मेरे, दिल के कोरे पन्नो पर।
मै तुमको लिखना चाहती हूँ, मै तुमको लिखना चाहती हूँ।।

वैसे तो मोती बसते हैं, सागर की गहराई मे।
उन मोती से अनमोल हो तुम, ये कहना तुमसे चाहती हूँ।।
सच बोलू तो हमदम मेरे, दिल के हर इक लहरो पर।
मै तुमको लिखना चाहती हूँ, मै तुमको लिखना चाहती हूँ।।

वैसे तो इंतजार पसंद है, तेरा मुझे हर लम्हो मे।
पर जिसमे हो आना तेरा, उन लम्हो को लिखना चाहती हूँ।।
सच बोलू तो हमदम मेरे, इंतजार भरे हर लम्हो पर।
मै तुमको लिखना चाहती हूँ, मै तुमको लिखना चाहती हूँ।।

                  DOORI KA EHSAAS
                   शालिनी गुप्ता $Ģ

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