तन्हा
भीड़ भरी इस दुनिया मे,
क्यो खुद को तंहा कर लिया।
लाखो चेहरे थे सामने,
क्यो इक चेहरे ने तंहा कर दिया ।।
मैं भूलना चाहता हूँ उसको,
ज़ो ख्वाब मे मेरे बस्ती थी।
फिर आज क्यो उसकी य़ादों ने,
मेरे दिल मे बसेरा कर लिया।।
था तन्हाई का आलम क्यू,
क्यो नजरे मेरी परेशान सी थी।
वो ढूंढ रही थी जाने किसे,
ना जाने किस की तालाश मे थी ।।
इक बेचैनी थी सांसो मे,
धडकन मे इक तनाव सी थी ।
जो था कभी मेरा अपना शायद,
य़े उनके ही ख्याल मे थी ।।
खुद को समझाना मुश्किल हैं,
पर उसका आना ठीक नही।
जो दिख जाता वो चेहरा फिर,
तो जुड ज़ाती उम्मीद नयी ।।
क्या किस्मत मे था मेरे,
ना जाने क्या क्या कर लिया ।
लाखों चेहरे थे सामने,
क्यो इक चेहरे ने तंहा कर दिया ।।
DOORI KA EHSAAS
शालिनी गुप्ता
भीड़ भरी इस दुनिया मे,
क्यो खुद को तंहा कर लिया।
लाखो चेहरे थे सामने,
क्यो इक चेहरे ने तंहा कर दिया ।।
मैं भूलना चाहता हूँ उसको,
ज़ो ख्वाब मे मेरे बस्ती थी।
फिर आज क्यो उसकी य़ादों ने,
मेरे दिल मे बसेरा कर लिया।।
था तन्हाई का आलम क्यू,
क्यो नजरे मेरी परेशान सी थी।
वो ढूंढ रही थी जाने किसे,
ना जाने किस की तालाश मे थी ।।
इक बेचैनी थी सांसो मे,
धडकन मे इक तनाव सी थी ।
जो था कभी मेरा अपना शायद,
य़े उनके ही ख्याल मे थी ।।
खुद को समझाना मुश्किल हैं,
पर उसका आना ठीक नही।
जो दिख जाता वो चेहरा फिर,
तो जुड ज़ाती उम्मीद नयी ।।
क्या किस्मत मे था मेरे,
ना जाने क्या क्या कर लिया ।
लाखों चेहरे थे सामने,
क्यो इक चेहरे ने तंहा कर दिया ।।
DOORI KA EHSAAS
शालिनी गुप्ता
Heart touching...
ReplyDeleteThank you
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