कोई शिकवा ना रहा,कोई शिकायत ना रही।
ऐ जिन्दगी तुझसे अब,बगावत ना रही।।
सोचा था तेरे तसव्वुर मे कटेगी, उम्र।
पर इस गम-ए-जिन्दगी मे मोहब्बत ना रही।।
कितने ख्वाब,कितने अरमाँ थे तुछे लेकर।
पर अब चाहतो को भी तुझसे,अदावत ना रही।।
तमाम उम्र यू ही गुजार दिया, जिसकी ख्वाहिश मे।
वो शक्स तो है, पर उसकी चाहत ना रही।।
कोई शिकवा ना रहा,कोई शिकायत ना रही।
ऐ जिन्दगी तुछसे अब,बगावत ना रही।।
"दूरी का एहसास"
शालिनी गुप्ता
ऐ जिन्दगी तुझसे अब,बगावत ना रही।।
सोचा था तेरे तसव्वुर मे कटेगी, उम्र।
पर इस गम-ए-जिन्दगी मे मोहब्बत ना रही।।
कितने ख्वाब,कितने अरमाँ थे तुछे लेकर।
पर अब चाहतो को भी तुझसे,अदावत ना रही।।
तमाम उम्र यू ही गुजार दिया, जिसकी ख्वाहिश मे।
वो शक्स तो है, पर उसकी चाहत ना रही।।
कोई शिकवा ना रहा,कोई शिकायत ना रही।
ऐ जिन्दगी तुछसे अब,बगावत ना रही।।
"दूरी का एहसास"
शालिनी गुप्ता
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