Bachapan - DOORI KA EHSAAS

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Tuesday, September 26, 2017

Bachapan


' मेरा बचपन '

छोटी थी मैं बच्ची थी ! बिल्कुल मन की सच्ची थी ! अपने गांव की गलियों में, खेल कूदा करती थी !! हाथ पकड़ कर पापा का, चलना मैने सीखा था ! माँ की लोरी सुन कर ही, नींद में मैं खोती थी ! परियों वाली कहानियां, दादी मुझे सुनाती थी ! बाबा के संग घूमने , मैं बाज़ार में जाती थी ! भाई बहनों में छोटी थी, प्यार सभी का पाती थी ! लाड़ो, गुड़िया,बाबू, जैसे नामों से जानी जाती थी !!

रचना : शालिनी गुप्ता $G
mera+bachpan+sg

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