Mere Humdam - DOORI KA EHSAAS

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Friday, October 6, 2017

Mere Humdam

तुम जो मिल जाती मुझको हमदम, तुम को सुबह शाम मै लिखता
केशो को मै लिखता बादल,अधरो को कुसुम बहार मै लिखता

नयनो को मै लिखता झील,  तेरी पलको को ठंडी छाॅव मै लिखता
नयनो से बहते अश्रु को,सावन की बरसात मै लिखता

दसनो को मै लिखता मोती, कपोलो को तेरी सुर्ख गुलाब मै लिखता
तेरे कंठ से निकली वाणी को,कोयल की मिठास मै लिखता

तुम जो मिल जाती मुझको हमदम, तुम को सुबह शाम मै लिखता
तेरे शरीर कलेवर पर मै,अपनी हर व्याख्यान लिखता।।

                                                        रचनाकृत-शालिनी गुप्ता
             "DOORI KA EHSAAS"

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